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Article Details :: |
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| Article Name : | | | समतेचे पुरस्कर्ते महात्मा श्रीचक्रधरस्वामी | | Author Name : | | | प्रा. डॉ. राजेंद्र वाटाणे | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | ROR-9699 | | Article : | |  | Author Profile | | Abstract : | | | तेरावे शतक हे मराठी साहित्याच्या, संस्कृतीच्या, धार्मिक अधिष्ठानाच्या तसेच सामाजिक संवर्धनाच्या दृष्टीनेही महत्त्वपूर्ण ठरले आहे. कारण याकाळात मराठी साहित्य निर्मितीला जसा प्रारंभ झाला तसाच वारकरी व महानुभाव संप्रदायातील संत, महंतांनी सामाजिक ऐक्य प्रस्थापित करून देशाची अखंडता शाबूत राखण्याचा प्रयत्न केला. | | Keywords : | | - महात्मा श्रीचक्रधरस्वामी,
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