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| Article Name : | | | जैन धर्म साहित्य में पर्यावरण चेतना | | Author Name : | | | प्रा. डॉ. रामचंद्र मारूती लोंढे | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | ROR-14163 | | Article : | |  | Author Profile | | Abstract : | | | जैनधर्म भारत का प्राचीनतम धर्म है। इसे प्रारम्भ में श्रमणधर्म, अर्हतधर्म एवं निर्ग्रन्य धर्म के नाम से जाना जाता था । जैनधर्म् की परम्परा के मठापुरूष समस्त प्राणियों में समान भाव रखते थे, क्षमता की साधना करते थे, इसलिए वे श्रमण कहलाये । | | Keywords : | | - जैन धर्म ,पर्यावरण चेतना,
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