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| Article Name : | | | माणसातल्या माणूसपणाचा शोध घेणारा नाटककार : अभिराम भडकमकर | | Author Name : | | | प्रा. डॉ. रविंद्र म. कांबळे | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | ROR-13547 | | Article : | |  | Author Profile | | Abstract : | | | भारतात मराठीरंगभूमीही अग्रेसर मानली जाते. प्राचीन काळापासून अनेक लोककला प्रकारामध्ये नाट्य हा कलाप्रकार रुजलेला दिसून येतो. मराठी नाटकात आजवर अनेक बदल झाले. नवीन प्रवाह, तंत्रज्ञान आणि काळाबरोबरच नाटकाचे विषय व प्रयोजनही बदलत गेले. मनोरंजनाबरोबरच प्रबोधन ही गरजचे वाटू लागले. संगीतप्रधान, पौराणिक, सामाजिक, राजकीय, कौटुबिक व त्यानंतर मध्यमवर्गीय, विनोदी, दलित, ग्रामीण, कामगार, व बाल्यनाट्ये उदयास आली. | | Keywords : | | |
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